जैसे जैसे रविवार यानी 28 जनवरी 2024 का दिन ढ़लता गया वैसे वैसे महागठबंधन सरकार का भी समय ढ़लता जा रहा था। और दोपहर होते होते महागठबंधन सरकार गिर गई। नीतीश कुमार राजभवन गए और उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
पांच दिनों तक चले सियासी उठापटक के पाद नीतीश कुमार से पहले बिहार के मुख्यमंत्री पद से आठवीं बार इस्तीफ़ा दिया..और इस्तीफ़ा देने के क़रीब पांच घंटे बाद उन्होंने बिहार के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली। RJD से गठबंधन तोड़ने के बाद नीतीश कुमार ने पहले की तरह राष्ट्रीय जनता दल पर कई आरोप भी लगाए
नीतीश कुमार ने कहा कि आज मैंने इस्तीफ़ा दे दिया है। RJD के साथ गठबंधन तोड़ दिया। इस गठबंधन में कई तरह की दिक़्क़तें हो रही थी और लोग RJD के रवैये से लोग परेशान थे। जिसके बार मैंने पार्टी के लोगों की सलाह मानते हुए ये गठबंधन ख़त्म करे दिया।
22 जनवरी की शाम नीतीश कुमार ने राजभवन में नए साथियों के साथ शपथ ली। नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो बीजेपी के सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा डिप्टी सीएम बने। वहीं, बीजेपी के प्रेम कुमार, जेडीयू के विजय चौधरी, विजेंद्र यादव, श्रवण कुमार, जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन मांझी, और निर्दलीय विधान सुमित सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण के बाद नीतीश कुमार बीजेपी और एनडीए से पुरानी दोस्ती की दुहाई देते नज़र आए।
नीतीश कुमार ने कहा कि वो पहले भी बीजेपी के साथ ही थे लेकिन बीच में कुछ समय के लिए कहीं और चले गए थे।
नीतीश की नई सरकार में जाति समीकरण का भी पूरा खयाल रखा गया है। ताकि किसी भी वर्ग को शिकायत का मौका नहीं मिले।
- नीतीश कुमार जो कि जेडीयू के अध्यक्ष हैं और वो कुर्मी जाति से आते हैं
- बीजेपी के सम्राट चौधरी नई सरकार में डिप्टी सीएम हैं और वो कोइरी समुदाय से हैं
- बीजेपी के विजय सिन्हा भी नई सरकार में डिप्टी सीएम हैं और वो भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं
- बीजेपी के प्रेम कुमार नीतीश की नई सरकार में मंत्री बने हैं और वो कहार समुदाय से हैं
- जेडीयू के विजय चौधरी भी नई सरकार में मंत्री बने हैं और वो भी भूमिहार समुदाय से हैं
- मंत्री बने जेडीयी के श्रवण कुमार कुर्मी समुदाय से हैं
- जेडायू के विजेंद्र यादव भी मंत्री बने हैं और वो समुदाय से हैं
- हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के संतोष सुमन मांझी भी बने हैं और वो दलित समुदाय से हैं
- निर्दलीय विधायक सुमित सिंह भी मंत्री बने हैं और वो राजपूत समुदाय से है
यानी साफ़ है कि लालू यादव के MY समीकरण के मुक़ाबले नीतीश की नई सरकार में सोशल इंजीनियरिंग का पूरा खयाल रखा् गया है। शपथ ग्रहण में दलित से लेकर कुर्मी कोइरी, कहार, भूमिहार और राजपूत हर समुदाय के लोगों को शामिल किया गया है।
लेकिन ऐसा नहीं है कि महागठबंधन सरकार से इस्तीफ़ा देना नीतीश कुमार के लिए आसान था। क़रीब एक साल से दोनों पार्टियों के बीच दूरियां बढ़ती जा रही थी। और इसकी बड़ी वजह थी दोनों पार्टियों की सीटों में अंतर। सीटों के लिहाज से आरजेडी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी थी। और जेडीयू के खाते में सीटें कम हैं, जिसकी वजह से नीतीश कुमार पर तेजस्वी यादव के लिए सीएम की कुर्सी खाली करने का दबाव बनता जा रहा था। और इसे लेकर गाहे बगाहे राष्ट्रीय जनता दल की तरफ़ से बयान भी दिए जा रहे थे। लेकिन फिर भी सरकार चल रही थी। और इस चिंगारी में पेट्रोल का काम किया 24 जनवरी को परिवारवाद पर दिए गए नीतीश के बयान ने। जिसके बाद ये तल्खी बढ़ी, जमकर बयानबाजी होने लगी और इस जुबानी जंग में नीतीश के समर्थन में बीजेपी आ गई. और फिर चार दिनों बाद बिहार में महागठबंधन की सरकार का THE END हो गया। और NDA की सरकार का सूरज निकल गया।