22 जनवरी की तारीख भारत और सनातन के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। क्योंकि 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई,और राम को भव्य धाम मिला।
लेकिन ये तारीख एक लंबे संघर्ष का गर्भ गृह है जो करीब 500 साल तक चला। ये तारीख कारसेवकों के बलिदान की कथा है जिसे सुनते सुनाते थक जाएं लेकिन वो खत्म नहीं होगी।
22 जनवरी 2024 वो तारीख है जब मंदिर आंदोलन से जुड़े सैकड़ों लोगों की आंखें नम हो गईं। ऐसा लग रहा था की मानो उनके घर किसी बालक का जन्म हुआ है, आंखों में चमक थी गला भरा हुआ था। क्योंकि जो सपना 500 साल पहले देखा गया था वो पूरा हो रहा था।
मंदिर आंदोलन गवाह है कि किसी ने राम से अपने लिए कुछ नहीं मांगा, लोग राम के मंदिर के लिए संघर्ष करते रहे, बलिदान दिया और उसके पूरा होने पर वो मर्यादा पुरुषोत्तम की नगरी पहुंचे थे।